पिरो रहा था वो
तारीफ़ों की लड़ी
मेरी आखों की
मेरी हंसी की
मेरे गालों की
मेरे बालों की
बहार की तरह खिल उठा है
ज़िन्दगी का हर कण जो मेरा
ठीक है....ये तारीफें हैं अपनी जगह
दस्तूर है शायराना, इस रिश्ते का
पर साथ रहना जब चाहिए सहारा इन बाहों को
रोशनी कम होने लगे आखों की
मुरझा जाए इस उम्र की अटखेलियाँ
मेरे साथी, साथ निभाना मेरा
जीवन की शाम होने के बाद
अनिन्दिता
09.09.1996
Photograph source: internet
shubhan allah.....true and beautiful!!!!!!!!!
ReplyDeleteRajani