इकरार
आईना देखकर शरमा गई
जैसे किसी ने कुछ दर्ज़ किया
चेहरे पर, कोई ग़ज़ल
पैर जैसे आसमाँ पर
मन सपनों के डेरे में
आपके सवाल का क्या करूँ?
कहाँ रखूँ इसे?
सर पे बिठाऊँ,
हथेली में छुपा लूँ,
या आँखों में बसा लूँ इसे?
ज़रा रोक कर तेज़ धड़कन को,
ज़रा साँसों को थाम कर,
लो.. जवाब देती हूँ मैं,
हाँ, मैं बनूंगी जीवन-संगिनी तुम्हारी....
04 November 2011
Anindita
Photograph: From Internet
Lovely!! BTW was this composed when Nikhil proposed to you?
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