Tuesday, October 12, 2010
'Matri roopen Samsthitha'....?????
आज दुर्गाष्टमी है
मैं बुलबुल..
दौड़ती, फिरती हूँ चाची, मामी, भाभियों के घर
कई घरों में आज कन्या पूजा रखा है
उमंगें उमड़ती है
मुझमें और मीना, रेखा, सीमा सब में
हर एक घर में
हमारी आरती उतारकर
तिलक करके
खूब भोग करा रही हैं सभी.....
कोई दे रही है हमें
कुछ शगुन के रूपए
तो कहीं पर मिल रही है
चूड़ियाँ, कपड़े या कई और तोहफे
हर साल मुझे इंतज़ार रहता है
दुर्गाष्टमी का
मैं कितनी खुश-नसीब हूँ
मैं कन्या हूँ
हमारे देश में कन्या को पूजा जाता है
आज दुर्गाष्टमी है
मैं ममता
सुबह से भूखी मैं
न सुझे कुछ मुझको
माँ ने आम के पेड़ के नीचे
बनाई थी कुछ रोटियाँ
माँ को जाना है
ईंट की भट्टी
बाबा भी जायेंगे
मैं खिला दूंगी रोटियाँ
मेरे चारों भाई-बहनों को
मैं बड़ी हूँ सबसे
मैं भूखी रह लूंगी
फिर ईँटा-भट्टी में कुछ काम भी कर लूंगी
काश दूर उन लड़किओं की तरह
मुझे भी कोई देता दुर्गाष्टमी के भोग
पर नहीं उन आराम तक फैलते नन्हे हाथ हमारे
माँ ने कहा, आज दुर्गाष्टमी है
कहीं पूजते हैं हमारी रूप को
तो कहीं ह्मारे देश में
बच्चें भूखे सो जाते हैं
आज दुर्गाष्टमी है
मेरा नाम नहीं है कोई
घर पर दादी, ताई और बुआ
कन्या भोज में लगी हैं
माँ को समय नहीं है
उनको जाना है
एक फैसला निभाने को
मुझे अपने बदन से निकाल फेकने को
उन्हें पता जो चला है
मेरी रूह एक लड़की बन कर
उनकी कोख में पल रही है
माँ की तो तीन लड़कियाँ और है
मेरी ज़रूरत कहाँ
जनेगी नहीं मेरी माँ मुझे
आज दुर्गाष्टमी है
मेरे देश में
कन्यायों की बली भी दी जाती है!
Images: From internet
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yahi insaan ka roop hai... Ani, I guess all out there would have a moment to reflect what we human beings have turned out to be... thank you for this lovely soul stirring poetry
ReplyDeleteIt is really sad that we perceive ‘life’ as either being man or being woman. I wish to see that day when we would see life beyond that difference, give birth to it and make it a meaningful experience for an individual to live.
ReplyDeleteOh Ani.. is simply superb... my heart rhymes with ur words.. humare desh kii yahi kahani hai...
ReplyDeleteHaa ye hamare desh ki kahani he, Sachhai bhi he isme. Par muze yakin he ki Hum aur aap jaisi beteyan hi badlengi is tasveer ko. Yakinan badlengi. ....
ReplyDeletejust darun.
ReplyDeleteLovely Ani..!!! You brought out the stark contrast so well..!
ReplyDelete3-parallel sequence drawn beautifully. Do write more on similar kind of issues. Eye-opener!
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