Wednesday, June 29, 2011

धीरे चलो.....



जितनी भड़कती है चिनगारी
उतना जलता है आशियाना
भर जाने पर पानी बहुत
रिस जाता है मिट्टी का टीला

छलक जाता है पैमाना
गर भर जाए ज़रूरत से ज़्यादा

थक जाओगे अगर दौड़ो
इस तेज़ी से तुम
ज़रा मध्यम रहे
कदम तुम्हारे, दोस्त!


कि ज़िन्दा रहे देर तक
ज़िन्दादिली तुम्हारी
और थके नहीं आँखें
रास्ते की लम्बाई को देखकर


Anindita
Written on 16.11.96


Photograph: From Internet