Friday, March 05, 2010

जीवन साथी


पिरो रहा था वो
तारीफ़ों की लड़ी

मेरी आखों की
मेरी हंसी की
मेरे गालों की
मेरे बालों की

बहार की तरह खिल उठा है
ज़िन्दगी का हर कण जो मेरा
ठीक है....ये तारीफें हैं अपनी जगह
दस्तूर है शायराना, इस रिश्ते का

पर साथ रहना जब चाहिए सहारा इन बाहों को
रोशनी कम होने लगे आखों की
मुरझा जाए इस उम्र की अटखेलियाँ
मेरे साथी, साथ निभाना मेरा
जीवन की शाम होने के बाद

अनिन्दिता
09.09.1996
Photograph source: internet

1 comment:

  1. shubhan allah.....true and beautiful!!!!!!!!!
    Rajani

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