बन्दगी
हो इबादत ऐसी मेरी
कि जुस्तजु न हो पूरी
रहूँ तेरी तलाश में हर पल
यह प्यास रहे यूँ अधुरी
तु नूर है या है हवा
तु मुझमें है तो मैं कौन हूँ?
दोस्त है क्या, रक़ीब कौन है?
तु हर चीज़ में है तो ग़ैर कौन है?
इन्हीं सवालों से रहे हर पल
शाद-शाद मेरी बन्दगी
हज़ारों सवाल, कई जवाबों से
रहे यूँ आबाद मेरी ज़िन्दगी
Anindita Baidya
5 May 2011
Photograph: from internet
tu mujh mein hai to main kaun hoon...tu har cheez mein hai to gair kaun hai.... very well said...i just loved the way you have struck the balance between the faith and the doubt...
ReplyDeleteWah wah ani.. yeh aap ne likha hai? I just wish I could write poetry....!!
ReplyDeleteultimate...!!!
ReplyDelete